Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 40( Turning Point )

मैने मोबाइल अरुण को दिया और बोला फ्रेंच ,रोमेनियन और रशियन मे आइ लव यू को क्या कहते है लिस्ट मे  देख और इस वीडियो मे देख....

"ये धोखा है...मैने तुझसे कहा था कि ऐश को बोलना है आइ लव यू....मतलब आइ लव यू...."

"पर तूने ये नही कहा था कि किस लॅंग्वेज मे बोलना है...आइ लव यू...मतलब आइ लव यू.... चल खड़े हो और आज्ञाकारी छात्र की तरह अपने गुरु श्री अरमान की आज्ञा का पालन कर... जा सिगरेट लेके आ "


कल रात से मैं उस वीडियो को कई सिगरेट पीते हुए कई  बार देख चुका था... जिसमे मैं ऐश को और ऐश मुझे तीन-तीन फिरंगी भाषा  मे आइ लव यू बोल रहे थे.. इधर टेस्ट की टेंशन  ख़तम होने के बाद इलेक्शन  की टेंशन  आ गयी थी...सिदार अपने कुछ दोस्तो के साथ दिन मे दस चक्कर हमारे हॉस्टल  के मारता और एक -एक के रूम मे जाकर उन्हे कहता कि वो मुझे वोट दे....अब जब इलेक्शन  मे मैं भी शामिल था तो मेरा चिंतित होना लाजिमी था. चलती क्लास मे भी इलेक्शन  और उसका फॉर्म मेरे आँखो के सामने आ जाता, जिसमे ब्लैक  पेन से मैने  अपनी डीटेल्स भरी थी l

आज मुझे रिसेस मे कंप्यूटर लैब जाना पड़ेगा ये मैं जान गया था ,क्यूंकी आज असाइनमेंट सबमिट  करने की तारीख  थी और मैं हमेशा की तरह आज भी  खाली हाथ था, मेरे असाइनमेंट ना करने की वजह शायद दीपिका मैम  खुद भी थी.... यदि किसी को स्टडी ना करने पर उसकी हॉट क्लास टीचर किस दे, अपने जिस्म को छूने का मौका दे....तो फिर  ऐसा मौका कौन छोड़ेगा. उपर से दीपिका मैम  के हाथ मे इस  सब्जेक्ट का नंबर था तो उसके हिसाब से मैं जितना वक़्त उनके साथ लैब  मे रहूँगा मेरे नंबर उतने ही ज्यादा बढ़ेंगे...... Afterall, सारा खेल तो नंबरो का ही है...

उस दिन भी वही हुआ, असाइनमेंट ना करने की वजह से दीपिका मैम  ने मुझे क्लास से पहले  बाहर भगाया और क्लास ख़त्म होने  के बाद रिसेस मे कंप्यूटर लैब  आने के लिए कहा और इस वक़्त मै उन्ही के सामने, कंप्यूटर लैब मे बैठा हुआ था........

"तुम मुझे क्या समझते हो... जो असाइनमेंट करके नही आते ."

"माल..."ऐसा मैं बोलना चाहता था लेकिन मैने नही बोला....

"तुम हर बार असाइनमेंट करके नही आते,क्या मैं क्लास मे टाइम पास करने आती हूँ....?  You don't know कि मैं दिन के दो से तीन घंटे घर जाकर तुम लोगो के सब्जेक्ट को पढ़ती हूँ , ताकि नेक्स्ट डे तुम लोगो को अच्छे से पढ़ा सकूँ, अच्छे से समझा सकूँ...."

"दो से तीन घंटे...?."मैं सिर्फ़ इतना बोला(((फिर भी तो क्या बकवास पढ़ाती है )))

"हां तो...."शुरू मे वो चिढ़ि लेकिन फिर जैसे मेरी बात का दूसरा मतलब निकाल कर मुस्कुराने लगी...

"क्या ? दो से तीन घंटे....सच..?😍"दीपिका मैम के आँखों मे हवस की लहर दौड़ने लगी.. ये सुनते ही

"It is freaking my capacity..."होंठो पर मुस्कान लाते हुए मैने कहा और सेम टू सेम रियेक्शन उसके होंठो पर भी हुआ.....वो भी मुस्काई....

"रियली , दो से तीन घंटे...?"

"और नही तो क्या.. विश्वास नही तो प्रैक्टिकल कर के देख लो ."दाँत दिखाते हुए मै बोला


और अब वहाँ वो होने वाला था,जिसके लिए मैं वहाँ था.... जिसका इंतेज़ार मैं तब से कर रहा था ,जब से मैं लैब  मे आया था...वो अपनी कुर्सी से उठी और जिस चेयर पर मैं बैठा था उस चेयर के पास मेरे सामने बैठ गई और नीचे बैठकर वो मेरे पैंट मे लगे बेल्ट को उतरने लगी... इस दौरान कंप्यूटर लैब अंदर से लॉक्ड था. सभी खिड़की, दरवाजे सब अंदर से बंद  थे...  मेरी तरफ हवस से देखते हुए जब दीपिका मैम, मेरे बेल्ट उतरने के बाद जब मेरे पैंट के हुक की तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो  मेरा दिल बहुत तेज़ी से वाइब्रट करने लगा....उस वक़्त मुझे बस यही लग रहा था अभी दीपिका मैम  को यही ज़मीन मे लिटा कर इनके ऊपर चढ़ बैठु...

दीपिका मैम के हाथो का स्पर्श जैसे ही हुआ तो मै चेयर पर ही उछल पड़ा...

"अये  ईडियट.. एकदम शांत बैठो "

"गुदगुदी हो रही है... हीहीहीही.. हाहाहाहाहा...."

"शांति से बैठे रह,वरना 100 असाइनमेंट दे दूँगी..."

"गुदगुदी होती है..."

"तो तुम भी कुछ करो मेरे साथ... खुली तिजोरी है, जितना लूट सकते हो लूट लो आज .."अपने जिस्म के भिन्न -भिन्न अंगों की तरफ इशारा करते हुए उसने कहा

मैने भी होनी हरकते चलु कर दी और हर बीत रहे सेकंड के साथ मेरी हरकते स्पीड पकड़ते जा रही थी... इस दौरान दीपिका मैम एक पल के लिए रुकी और मेरी तरफ ,मेरी आँखो मे देखने लगी....

"कैसा है..." मैने पूछा

"पर्फेक्ट है.."

इसके बाद दीपिका मैम खड़ी हुई और पिछली बार की तरह अपने दोनों पैर चेयर के अजु -बाजू करके मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे होंठो की तरफ अपने होंठ बढ़ाये... की तभी सामने desk पर रखा उनका मोबाइल बहुत जोर से बजने लगा... मोबाइल अचानक बजने के कारण मै बुरी तरह चौका...
"रिसेस ख़तम होने वाला है, तुम्हारे चक्कर मे मैं भी भूल गयी... वो तो अच्छा हुआ की मैने 10 मिनट. पहले का अलार्म सेट कर रखा  है...."

"10 मिनट है ना..."मैने दीपिका मैम को पकड़कर पूरी ताकत से भींचा और उनके गर्दन पर आहिस्ते से किश किया... मेरे किश करते ही वो सिहर उठी


"अरमान, काबू करो अपने अरमानो पर, तुम्हे जाना होगा..."

"आज नही..."उनके जिस्म को और जोर से खुद की तरफ भीचते हुए मैन बोला

"सही समय नही है ये.. कही कॉलेज से ना निकाले जाओ..."उन्होंने मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश की... लेकिन मै और दम लगा कर उन्हें अपनी बाहो मे कैद किये रखा  ..वो मुझे मना कर रही थी, उसकी आवाज़ मे अजीब सी कशमकश थी, वो मुझे जाने के लिए तो कह रही थी,लेकिन उसकी आवाज़ का टोन कुछ और ही था... उदास वो भी थी की इतनी जल्दी लंच ख़त्म हो गया  और इसी बीच उन्होंने मुझसे छूटने की कोशिश करना बंद करके मेरे होंठो को चूसने लगी...

"अरमान ...गो..."एक पल के लिए अपने होंठ जुदा करके वो बोली पर अगले पल खुद उसके होंठ मेरे होंठ से जा मिले...
इसीलिए के साथ दीपिका मैम  का मोबाइल फिर से बज उठा, तो उसने मुझे दूर करते हुए कहा"अब सिर्फ 5 मिनट बाकी है... CS डिपार्टमेंट के hod आते होंगे... ."

मुझे दूर करके, मुझसे दूर होकर वो खड़ी हुई और अपने कपडे ठीक करने लगी... मैने उनके पर्स से उनका रूमाल निकाला और रूमाल से अपने होंठो पर छपी लाली को साफ करने लगा. मुझे ऐसा  करते देख दीपिका मैम ने आँख दिखाकर जाने के लिए कहा...

"मैं नही जाउन्गा..."उसके पास आकर उसको वापस पकड़ते हुए मैने कहा,"आज भले ही हम दोनो पकड़े जाए, लेकिन आज मैं आपकी ले के रहूँगा "

"अरमान, पागल मत बनो..."मुझे धकेलते  हुए वो बोली... "भागो यहाँ से.. जल्दी "

आज मैं कंप्यूटर लैब  मे कुछ और भी सोचकर आया था, साली ने असाइनमेंट दे देकर परेशान कर रखा था,....

"एक शर्त पर जाउन्गा..."उन्हें वापस पकड़ कर खुद से चिपकते हुए मैने कहा "यदि मेरे सारे असाइनमेंट माफ़ कर दो ...."

"नो... नो..."

"ठीक है फिर.. आज hod सर देख लेंगे की आप और मै यहाँ क्या कर रहे है... "

"ओके.. ओके.. मुझे मंजूर है.. तुम्हे कोई असाइनमेंट नही करना पड़ेगा... अब जाओ यहाँ से.. जल्दी "

"थैंक  यू ,मैम  "अपना हुलिया सही करते हुए मै वहा से निकला....  दीपिका मैम  भी उस दिन सोच रही होगी कि साला ये कल का आया हुआ लौंडा मेरे ही मजे लेकर मुझे ही चूना लगा गया...... तो उसका सिर्फ एक ही जवाब है.. और वो जवाब है...

That's Shri Arman for you, Bitches....😎

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"ये चाकू देख रहा है..."टेबल पर रक्खे एक चाकू की तरफ इशारा करते हुए वरुण बोला"इसको ले कर अपने हाथ की लकीरे काट डालना था , तब शायद वो तुझे मिल जाती...." भूतकाल से वर्तमान काल मे लाते हुए अरुण बोला

वरुण की बात सुनकर मैं बाहर से तो मुस्कुराया लेकिन अंदर रोते हुए बोला...

"किसी शायर ने क्या खूब कहा है की... आशिक बनकर अपनी जिंदगी बर्बाद मत करना.. लेकिन बर्बादी तो तय है, जो मैने खुद चुनी..."

"नो...नो..."

"क्या हुआ.."

"ये वाली लाइन्स मै सुन चुका हूँ... तु कहानी आगे बता ..."
"दारू पिलाई है  तो सुनाना ही पड़ेगा ,ले सुन..."बाहर से हँसते हुए और अंदर से रोते हुए मैने कहा

" मैं अपने हाथो की उन लकीरो को कुरेद कर, काट कर मिटा भी देता जिसमे वो नही थी, उसका अक्श नही था,लेकिन एक कहावत इश्क़-ए-बाज़ार मे काफ़ी मशहूर है कि.....

"हद से ज़्यादा किसी चीज़ से प्यार करने पर...वो चीज़ नही मिलती....

ये सब तो किस्मत का खेल है यारो !!!

क्यूंकी हाथ की लकीरो को मिटाने से....कभी तक़दीर नही बदलती...."


वरुण ये सुनने के बाद शांत ही रहा...

"बोल वाह..."जबरन मेरी तारीफ करने के लिए मैने वरुण को मजबूर किया..

"वाह.. वाह... क्या बात है.. अदभुत, अद्वितीय, अलौकिक, अपरामपार.... खैर, अब स्टोरी आगे बढ़ा और बता फिर क्या हुआ..."

"फिर...."
.
फिर क्या था, गौतम कॉलेज लौट आया...........................

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3 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:37 PM

Nice part

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Aliya khan

01-Sep-2021 12:04 PM

Bahut hi Sundar kahani

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Fiza Tanvi

30-Aug-2021 04:59 PM

बहुत खूब

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